नाग पञ्चमी

नाग पंचमी

नाग पञ्चमी मंगलवार, जुलाई 29, 2025 को

नाग पञ्चमी पूजा मुहूर्त – 05:41 ए एम से 08:23 ए एम

गुजरात में नाग पञ्चम बुधवार, अगस्त 13, 2025 को

🌿 नाग पंचमी: आस्था, परंपरा और प्रकृति के प्रति सम्मान का पर्व

श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी सावन के महीने की पाँचवीं तारीख को नाग पंचमी का पर्व पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। आम तौर पर यह त्योहार हरियाली तीज के दो दिन बाद आता है, और अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक ये जुलाई या अगस्त में पड़ता है।

इस दिन खासतौर पर महिलाएँ नाग देवता की पूजा करती हैं और सर्पों को दूध चढ़ाती हैं। वे अपने परिवार और भाइयों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक मान्यता से जुड़ा है, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बेहद खास है — यह प्रकृति और जीवों के साथ सह-अस्तित्व का प्रतीक माना जाता है।

🐍 नागों की पूजा का विशेष दिन

हिंदू धर्म में नागों को देवता का दर्जा प्राप्त है। वैसे तो सालभर में कुछ खास दिन नागों की पूजा के लिए माने जाते हैं, लेकिन श्रावण मास की पंचमी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन जो भी पूजा-सामग्री सर्पों को अर्पित की जाती है, वह सीधे नागलोक तक पहुँचती है। इसलिए कई लोग जीवित नागों की पूजा भी करते हैं, जिन्हें नाग देवताओं का प्रतिनिधि माना जाता है।

🔱 नाग पंचमी पर पूजे जाने वाले 12 प्रमुख नाग देवता

नाग पंचमी के दिन विशेष रूप से नीचे दिए गए बारह नागों की पूजा की जाती है:

  1. अनन्त
  2. वासुकी
  3. शेष
  4. पद्म
  5. कम्बल
  6. कर्कोटक
  7. अश्वतर
  8. धृतराष्ट्र
  9. शङ्खपाल
  10. कालिया
  11. तक्षक
  12. पिङ्गल

🕉️ नाग पंचमी का प्रमुख मंत्र

सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥

अर्थ:
धरती, आकाश, सूर्य की किरणों, नदियों, तालाबों और झीलों में निवास करने वाले सभी नागों को मेरा प्रणाम। आप सभी हमें आशीर्वाद दें।

🔔 नागों के नामों का जाप – सुरक्षा और सफलता का उपाय

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥

अर्थ:
यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन सुबह इन प्रमुख नागों के नामों का जाप करता है, तो वह सर्प भय से मुक्त रहता है और जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

📜 नाग चतुर्थी और नाग पंचमी के क्षेत्रीय रूप

  • नाग चतुर्थी: कुछ लोग नाग पंचमी से एक दिन पहले उपवास रखते हैं जिसे नाग चतुर्थी या नागुला चविथी कहते हैं।
    • आंध्र प्रदेश में यह पर्व दीवाली के बाद मनाया जाता है।
    • तमिलनाडु में यह उत्सव सूर सम्हारम नामक छह दिन चलने वाले त्योहार से जुड़ा होता है।
  • गुजरात में नाग पंचमी को नाग पंचम कहा जाता है और यह अन्य राज्यों की तुलना में करीब 15 दिन बाद मनाई जाती है, यानी श्रावण के कृष्ण पक्ष की पंचमी को। यह पर्व कृष्ण जन्माष्टमी से तीन दिन पहले आता है।
  • बोल चौथ (बहुला चौथ): गुजरात में नाग पंचमी से एक दिन पहले मनाया जाने वाला त्योहार है, जिसमें गायों और मवेशियों की पूजा की जाती है।

🌸 नाग पंचमी – एक संदेश

नाग पंचमी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह हमें प्रकृति के साथ संतुलन, जीव-जंतुओं के सम्मान और पारिवारिक प्रेम का संदेश देती है। सर्पों को भय की नजर से नहीं, सम्मान और संतुलन के प्रतीक के रूप में देखना ही इस पर्व का मूल भाव है।