हरतालिका तीज व्रत की पौराणिक कथा
भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हरतालिका (तीज) व्रत की संज्ञा से विभूषित किया गया है। इस व्रत का महत्त्व आज से नहीं, अपितु प्राचीन समय से ही है। इसका मुख्य कारण यह है कि इस व्रत को विवाह से पूर्व करने से मनोवांछित पति की प्राप्ति निःसन्देह होती है तथा विवाहोपरान्त इस व्रत को करने से…